friend of kaliyug - INTERNET - 1 in Hindi Philosophy by ADARSH PRATAP SINGH books and stories PDF | कलियुग का मित्र - INTERNET - 1

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कलियुग का मित्र - INTERNET - 1



इये हम जानते है कि इस कलियुग में बन रहे नए मित्र जैसे
“INTERNET” दौर कलियुग का है जहाँ व्यक्ति ही असुर है और वही देवता है। भेदभाव करने में भरपूर,लोभी और गलत तर्कों के समूह का परिचय ही आज मनुषय हो गया है। इन सभी स्थितियों से बिल्कुल अलग एक और जिंदगी है जिसे “INTERNET” कहते है। जहाँ व्यक्ति एक ऐसे जाल में फस स जाता है जहाँ निकलना बहुत मुश्किल स हो जाता है मनुष्य जीवन मे इंटरनेट की भूमिका इतनी अधिक हो गयी है कि मनुष्य उस पर पूर्ण रूप से निर्भर हो गया है। मनुष्य जीवन मे उसके होने वाले कई प्रकार के कार्य इंटरनेट की सहायता से होते है यह जाल ऐसा है जिसमे व्यक्ति का पूरा जीवन विलीन हो गया है। इससे हमें कई प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है जिसका सबसे बड़ा असरदार बीमारी मनोविज्ञान से सम्बंदित है इसमें ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है कि इलाज भी इंटरनेट की सहायता से होता है,और बीमारी भी इसी से होती है मनोविज्ञान से संबंधित होने वाली बीमारियों का होना अन्य बीमारियों से अधिक नुकसान दायक होती है।हमारे चारों ओर इस प्रकार के वातावरण में मनुष्य अपने जीवन मे चल रही दैनिक कार्यो को बहुत प्रभावित हो रहा है।जो उसके जीवन आयु सीमा को कम करने की ओर अग्रसर होता जा रहा है।जिससे अभी से सावधान रहने की बहुत अधिक मात्रा में जरूरत है वरना भविष्य में मनुष्यों के जीवनकाल की उम्र उसकी इस समय जीवित वयक्ति की अपेक्षा आधी रहा करेगी जो कि विनाशकारी होगा।
इस विनाश से बचने के लिए सर्वप्रथम पूर्वकाल से चला आ रहा उपाय “योग”है जिसका हमारे जीवन मे प्रभाव भौतिक, व मानसिक दोनो रूप से होता हैं।मानसिक स्वास्थ्य हमारे जीवन हो रही समस्याओं से लड़ने में निरंतर प्रयास करने में प्रोत्साहित करने सफल बनाता है भौतिक स्वास्थ्य का उपयोग से हम सब वाकिब है (भौतिक कार्यो में ) !आजकल हमे प्राप्त पंचभागो में से सबसे पहले समस्याओं का सामना करने में हमारी आंखे हार जाती है जिसका उपयोग से वाकिब है ,द्वतीय हमारे कान जो सीधे मानशिक स्वास्थ्य में प्रभाव डालते है इन सभी से प्रभावित करने वाला यंत्र स्मार्ट मोबाइल है। जिसका उपयोग इतना अधिक मात्रा में हम सभी करने लगे हैं कि अपने चारों ओर हो रहे वाक्यो से वंचित रह जाते है जिसका नुकशान बहुत अधिक है। मोबाइल फ़ोन का उपयोग सीमा से ज्यादा करना हमारी आंखों,कान व उसके साथ साथ दैनिक कार्य जैसे नींद का न आना व पूर्ण न होना जो बहुत प्रभावशाली है। जीवन की कई कड़ियों का इन यंत्रो के द्वारा अंत हो जाता है।
बाजार में उपस्थित सभी आधुनिक यंत्र जिनका उपयोग बहुत लाभदायक होता है लेकिन मनुष्य उन पर पूर्ण रूप से निर्भर हो जाता है जिससे स्वम् का फायदा कम नुकसान पहुंचा बैठते है अर्थार्थ इस आधुनिक काल मे आ रहे यंत्र खासकर इंटरनेट संबंधित जितने भी यंत्र है वह बिल्कुल शहद से भरी ठीकी मिर्च के भाँति होते है ऊपर से तो शहद का मीठापन होता है लेकिन अंदर ठीकी मिर्च जो काफी नुकसान दायक है इस लिए सिर्फ इंटरनेट ,उससे सम्बंदित उपलब्ध यंत्रो का उपयोग एक दायरे में ही करना चाहिए क्योंकि फायदेमंद होने के बजाये नुकशान दायक जायदा होते है बल्कि इंटरनेट का मकसत जीवन सिर्फ फायदे से तालुक रखता है परंतु मनुष्य आत्मनिर्भर होने से अच्चा दुसरो पर निर्भर होना ज्यादा पसंद करता है
“ इस प्रकार हमने इस पाठ में क्या है“इंटरनेट” जाना उसके द्वारा हो रहे फायदे और नुकशान दोनो पर संछिप्त में जाना ,अगले पाठ में हम इंटरनेट से हो रही घटनाओं से अवगत करवाएंगे जो आपके जीवन मे इंटरनेट की भूमिका में प्रभाव पड़ेगा जिससे आप सुरक्षित और स्वस्थ दोनो रहे पाएंगे जो सबसे अधिक है आइये पड़ते है
पाठ-2.................